Jhansi Fort History in Hindi Uttar Pradesh | झाँसी किला का इतिहास (2023)

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Jhansi Fort History in Hindi – झांसी किले का इतिहास – लक्ष्मी बाई की जानकारी – झांसी किले की संरचना – Jhansi ki Rani ka Kila झांसी किले के अन्य स्मारक | Jhansi Me Ghumne Ki Jagah रानी महल : झांसी किले का हर्बल गार्डन : रानी लक्ष्मीबाई पार्क : महाराज गंगाधर राव की छत्री : महालक्ष्मी मंदिर : झांसी किले पर 8 दिन तक गोले बरसाए पर दीवार हिला भी नहीं पाए – झांसी किले बारे में कुछ रोचक बाते – Some interesting things about Jhansi Fort झांसी किले के अंदर – झाँसी किले में लाइट एंड साउंड शो – Light and Sound Show at Jhansi Fort झांसी किला की एंट्री फीस– झांसी किला कैसे पहुंचे – How to reach Jhansi Fort झाँसी किला फ्लाइट से कैसे पहुँचे – How to reach Jhansi Fort Flight झाँसी किला ट्रेन से कैसे पहुँचे – How to reach Jhansi Fort by train झांसी किला सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे – Jhansi Fort Jhokan Bagh Uttar Pradesh Map – Jhansi Fort History in Hindi Video – FAQ – Conclusion – Videos

Jhansi Fort भारत के उत्तर-प्रदेश राज्य के झाँसी शहर में स्थित है। सन 1613 में झांसी के किले का निर्माण ओरछा के राजा बीर सिंह जूदेव ने करवाया था। यह किला एक चट्टानी पहाड़ी के ऊपर स्थित है।

यह jhansi ka itihas in hindi बताये तो किले के चारो ओर झाँसी शहर बसा हुआ है। झाँसी का किला सन 1857 की क्रांति के दौरान सिपाही विद्रोह के मुख्य केंद्रों में से एक माना जाता है। इस किले में एक कड़क बिजली टैंक रखा हुआ है जो संग्रहालय के साथ-साथ बुंदेलखंड की कलाकृतियों और मूर्तिकलाओं का अच्छा संग्रह प्रस्तुत करता है। सबसे ज्यादा इस किले को झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई के लिए जाना जाता है। जिन्होंने अंग्रेजो के साथ लड़ते हुए 18 जून 1858 (29 वर्ष की उम्र में) को अपने प्राणों का वलिदान कर दिया था। तो चलिए झांसी का किला का इतिहास बताते है।

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Jhansi Fort History in Hindi –

स्थानझांसी, उत्तर प्रदेश (भारत)
राज्यउत्तर-प्रदेश
निर्माणई.स 1613
निर्माताओरछा नरेश “बीरसिंह जुदेव”
प्रकारकिला
किले के द्वार10 द्वार
किले का क्षेत्र15 एकड़

झांसी किले का इतिहास –

Jhansi Fort History in Hindi Uttar Pradesh | झाँसी किला का इतिहास (1)

jhansi history और ओरछा का इतिहास देखे तो झांसी के किले का निर्माण सन 1613 में ओरछा राज्य के शासक वीर सिंह जूदेव बुंदेला ने करवाया था। झाँसी का किला बुंदेलों के गढ़ों में से एक है। सन 1728 में मोहम्मद खान बंगश ने महाराज छत्रसाल को पराजित करने के इरादे से उन पर हमला किया। इस युद्ध में पेशवा बाजीराव ने महाराज छत्रसाल की सहायता मुगल सेना को पराजित करने के लिए की। इसी का आभार प्रकट करने के लिए महाराज छत्रसाल ने निशानी के रूप में अपने राज्य का एक हिस्सा पेश किया।

सन 1766 से 1769 तक विश्वास राव लक्ष्मण ने झांसी के सूबेदार के रूप में काम किया।इसके बाद रघुनाथ राव नेवलकर (दिवतीय) को झाँसी का सूबेदार नियुक्त किया गया। उन्होंने झाँसी राज्य के राजस्व में वृद्धि, महालक्ष्मी मंदिर और रघुनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।राव की मृत्यु के बाद उनके पोते रामचंद्र राव के हाथो में झासी की सत्ता आ गयी और उनका कार्यकाल 1835 में उनकी मृत्यु के साथ ही समाप्त हो गया।

उनके उत्तराधिकारी रघुनाथ राव (तृतीय) थे जिनकी मृत्यु सन 1838 में हो गयी। उनके अक्षम प्रशासन ने झाँसी को बहुत ख़राब वित्तीय स्थिति में लाके खड़ा कर दिया था।इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने गंगाधर राव को झांसी के राजा के रूप में स्वीकार कर लिया। सन 1842 में राजा गंगाधर राव ने मणिकर्णिका (मनु) से शादी की जो बाद में रानी लक्ष्मी बाई के नाम से जानी गयी।

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लक्ष्मी बाई की जानकारी –

लक्ष्मी बाई ने एक पुत्र को जन्म दिया। जिसे दामोदर राव नाम से संबोधित किया गया। लेकिन चार महीने के अन्तराल के बाद उनकी मृत्यु हो गई। महाराज अपने बेटे की मृत्यु के पश्चात कुछ उदास रहने लगे और इसके बाद धीरे-धीरे उनका स्वास्थ भी ख़राब रहने लगा।सभी परिस्थियों को देखते हुए। झाँसी राज्य की मंगलकामना और झाँसी के उतराधिकारी के लिए अपने चचरे भाई के बेटे आनंद राव को गोद लिया

जिसका नाम दामोदर राव रखा और यह सूचना ब्रिटिश गवर्नमेंट को एक पत्र के माध्यम से नवंबर 1853 में महाराज की मृत्यु के पश्चात ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने गवर्नर-जनरल लॉर्ड डलहौजी ने “डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स” कानून लागू किया जिसके मुताविक दामोदर राव (आनंद राव) के सिंहासन के दावे को खारिज कर दिया गया।लक्ष्मी बाई को 60,000 रूपये वार्षिक पेंशन देने के साथ महल छोड़ने का आदेश दिया।मार्च-अप्रैल 1858 में कैप्टेन हयूरोज की कंपनी बलों ने किले को चारो तरफ से घेर लिया।

4 अप्रैल 1858 को किले पर कब्जा कर लिया। 1861 में ब्रिटिश सरकार ने झांसी किला और झांसी शहर को ग्वालियर के महाराज जियाजी राव सिंधिया के हवाले कर दिया। बाद में अंग्रेजों ने 1868 में ग्वालियर से झांसी वापस लिया। प्राचीन काल के में किले की दीवार झाँसी नगर को घेरती थी। दीवार में दस द्वार समय के साथ-साथ विलुप्त होते चले गए। लेकिन कुछ अभी भी खड़े हुए हैं। गेट के पास के स्थान अभी भी गेट के नाम से लोकप्रिय हैं।

Jhansi Fort History in Hindi Uttar Pradesh | झाँसी किला का इतिहास (2)

झांसी किले की संरचना – Jhansi ki Rani ka Kila

पहाड़ी क्षेत्र में खड़े झाँसी के किले से पता चलता है कि किले का निर्माण की उत्तर भारतीय शैली और दक्षिण भारतीय शैली से कैसे भिन्न है। इस किले की ग्रेनाइट दीवारें 16 से 20 फीट मोटी हैं और दक्षिण की तरफ शहर की दीवारों से मिलती हैं।किले का दक्षिण भाग लगभग लंबवत है। किले में प्रवेश करने के लिए 10 द्वार है। इनमे से उन्नाव गेट, ओरछा गेट, बड़गांव गेट, लक्ष्मी गेट, खंडेराव गेट, दतिया दरवाजा, सागर गेट, सैनिक गेट और चांद गेट हैं।

इस किले में उल्लेखनीय और दर्शनीय जगह शिव मंदिर, प्रवेश द्वार पर गणेश मंदिर और 1857 के विद्रोह में इस्तेमाल की जाने वाली कड़क बीजली तोप है।किले के पास में ही रानी महल है जिसे 19वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था और वर्तमान में यहा एक पुरातात्विक संग्रहालय है। यह किला 15 एकड़ के एरिया में फैला हुआ है।

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झांसी किले के अन्य स्मारक | Jhansi Me Ghumne Ki Jagah

रानी महल :

रानी महल भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के झाँसी शहर में एक शाही महल है। इस महल का निर्माण नेवलकर परिवार के रघुनाथ दिवतीय द्वारा किया गया था।इसी महल को बाद में रानी लक्ष्मीबाई के लिए एक निवास स्थान बनाया गया। वास्तुकला की दृष्टि से यह महल एक सपाट छत वाली दो मंजिला इमारत है। जिसमें एक कुआँ और एक फव्वारा है। महल में छह हाल, समानांतर गलियारा और कई छोटे-छोटे कमरे हैं।

Jhansi Fort History in Hindi Uttar Pradesh | झाँसी किला का इतिहास (3)

झांसी किले का हर्बल गार्डन :

झाँसी का हर्बल गार्डन बहुत ही सुन्दर जगह है इस स्थान पर 20000 प्रजातियों के अलग-अलग पेड़-पौधे लगे हुए है। जो यहा आने वाले सभी उम्र के पर्यटकों के लिए सुखद अनुभव का एहसास कराते है।सेल्फी लेने के लिए यह स्थान युवाओं के दरमयान बहुत ही लोकप्रिय है। यदि आप कभी झाँसी जाए तो हर्बल गार्डन की सैर करना बिल्कुल न भूले। टाइगर प्रॉल के रूप में लोकप्रिय यह स्थान अपने आप को फिर से जीवंत करने के लिए एक सुखद अनुभव है।

रानी लक्ष्मीबाई पार्क :

रानी लक्ष्मी बाई पार्क यहा के स्थानीय निवासियों के साथ-साथ यहा आने वाले पर्यटकों की भी पसंदीदा जगह बन चुकी है। शाम होने के साथ ही यह पार्क रंग-बिरंगी रौशनीयों से जगमगा जाता है। जिससे इस स्थान पर परम सौंदर्य की अनुभूति होती है। रानी लक्ष्मी बाई पार्क में अपने प्रियजनों और परिवार के साथ जाने के लिए एक आदर्श स्थान है।

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महाराज गंगाधर राव की छत्री :

Jhansi Fort History in Hindi Uttar Pradesh | झाँसी किला का इतिहास (4)
  • यह छत्री झाँसी के महाराजा गंगाधर राव को समर्पित है।
  • गंगाधर राव झाँसी के राजा होने के साथ-साथ लक्ष्मी बाई के पति भी थे।
  • इस छत्री का निर्माण उनकी पत्नी लक्ष्मी बाई के द्वारा ही करवाया गया था।
  • महाराज गंगाधर राव की छत्री झाँसी के महत्वपूर्ण स्मारकों में से एक है।
  • यह छत्री झाँसी आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

महालक्ष्मी मंदिर :

झाँसी का महालक्ष्मी मंदिर यहा का एक प्राचीन मंदिर है जो धन की देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। महालक्ष्मी मंदिर झाँसी के अन्य पर्यटक स्थलों में से एक महत्वपूर्ण स्थल है।झाँसी का यह पवित्र मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। यदि आप झाँसी घूमने जाते है तो यहाँ के महालक्ष्मी मंदिर में जाकर देवी माँ के दर्शन करना भूले।

झांसी किले पर 8 दिन तक गोले बरसाए पर दीवार हिला भी नहीं पाए –

इतिहास के जानकार जानकी प्रसाद वर्मा के अनुसार, अंग्रेजों ने 8 दिन तक किले पर गोले बरसाए, लेकिन किला न जीत सके। रानी और उनकी प्रजा ने प्रतिज्ञा कर ली थी कि अंतिम सांस तक किले की रक्षा करेंगे।अंग्रेज सेनापति ह्यूरोज जान गया था कि सैन्य-बल से किले पर कब्जा नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने झांसी के ही एक विश्वासघाती सरदार दूल्हा सिंह को अपने साथ मिला लिया, जिसने धोखे से किले का दक्षिणी गेट खोल दिया।

फिरंगी सेना किले में घुसी और लूटपाट-लोगों को मारना शुरू कर दिया। अंग्रेजी सेना के आक्रमण को देख रानी लक्ष्मीबाई खुद उनका मुकाबला करने निकल पड़ी। हालांकि, झांसी की सेना अंग्रेजों की तुलना में छोटी थी।एक समय ऐसा आया कि रानी अंग्रेजों से घिर गईं, जिसके बाद वो कुछ विश्वासपात्रों की सलाह पर कालपी की ओर बढ़ चलीं। इस दौरान एक गोली उनके पैर में लगी, फिर भी वो नहीं रुकीं।

रास्ते में एक नाला पड़ा, जहां रानी का घोड़ा नाला पार न कर सका। इसी का फायदा उठाकर अंग्रेजों ने रानी को घेर लिया। एक ने पीछे से रानी के सिर पर प्रहार किया जिससे उनके सिर का दाहिना भाग कट गया और उनकी एक आंख बाहर आ गई।घायल होने पर भी रानी अपनी तलवार चलाती रहीं और उन्होंने 2 आक्रमणकारियों को मार गिराया। इस दौरान पठान सरदार गौस खां भी रानी के साथ थे। उनका रौद्र रूप देख गोरे भाग खड़े हुए।

Jhansi Fort History in Hindi Uttar Pradesh | झाँसी किला का इतिहास (5)

झांसी किले बारे में कुछ रोचक बाते – Some interesting things about Jhansi Fort

इस भव्य किले का निर्माण वर्ष 1613 ई. में ओरछा साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक राजा बीरसिंह जुदेव द्वारा करवाया गया था।यह किला भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश के झाँसी में स्थित है।यह किला भारत के सबसे भव्य और ऊँचे किलो में से एक है, यह किला पहाडियों पर बना हुआ है जिसकी ऊंचाई लगभग 285 मीटर है।किला भारत के सबसे अद्भुत किलो में से एक है, क्यूंकि इस किले के अधिकत्तर भागो का निर्माण ग्रेनाइट से किया गया है।

यह ऐतिहासक किला भारत के सबसे विशाल किलो में शामिल है, यह किला लगभग 15 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है, यह किला 312 मीटर लंबा और 225 मीटर चौड़ा है जिसमे घास के मैदान भी सम्मिलित है।इस किले की बाहरी सुरक्षा दीवार का निर्माण पूर्णता ग्रेनाइट से किया गया है जो इसे एक मजबूती प्रदान करती है, यह दीवार 16 से 20 फुट मोटी है और दक्षिण में यह शहर की दीवारों से भी लगती है।

झांसी किले के अंदर –

इस विश्व प्रसिद्ध किले में मुख्यत: 10 प्रवेश द्वार है, जिनमे खंडेरो गेट, दतिया दरवाजा, उन्नाव गेट, बादागाओ गेट, लक्ष्मी गेट, सागर गेट, ओरछा गेट, सैनीर गेट और चंद गेट आदि प्रमुख है। किले के समीप ही स्थित रानी महल का निर्माण 19वीं शताब्दी में करवाया गया था, जिसका वर्तमान में उपयोग एक पुरातात्विक संग्रहालय के रूप में किया जाता है। वर्ष 1854 ई. में रानी लक्ष्मीबाई द्वारा ब्रिटिशो को महल और किले को छोड़कर जाने के लिए लगभग 60,000 रुपये की रकम दी गई थी।इस किले तक पंहुचने के सारे साधन मौजूद है, इसका सबसे निकटम रेलवे स्टेशन “झांसी रेलवे स्टेशन” है जो इससे 3 कि.मी. की दूरी पर स्थित है, यहाँ पर हवाई जहाज की सहायता से भी पंहुचा जा सकता क्यूंकि मात्र 103 कि.मी. की दूरी पर ग्वालियर हवाई अड्डा मौजूद है।

Jhansi Fort History in Hindi Uttar Pradesh | झाँसी किला का इतिहास (6)

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झाँसी किले में लाइट एंड साउंड शो – Light and Sound Show at Jhansi Fort

साउंड एंड लाइट शो झाँसी किले में आयोजित किया जाता है।

यह रानी लक्ष्मी बाई के जीवन और 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित है।

स्थान – झाँसी का किला

(Video) झांसी का किला और उसका पूरा इतिहास | झाँसी की रानी का किला | Jhansi Fort History Full Information

फीस – भारतीय रु 50 / – , विदेशी रु 300 / –

समय – शाम 7.45 बजे। हिंदी ग्रीष्म ऋतु में ,- अप्रैल से ऑक्टेबर

समय – रात 8.45 बजे। अंग्रेज़ी

शाम 6.30 बजे। हिंदी -सर्दियों में, नवंबर से मार्च

समय – शाम 7.30 बजे। अंग्रेजी ,नवंबर से मार्च

झांसी किला की एंट्री फीस–

यदि आप झाँसी का किला घूमने का मन बना चुके है।

तो हम आपको बता दें कि यहाँ घूमने के लिए कुछ शुल्क अदा करनी होती है।

जिसकी जानकारी हम आपको देते है-

  1. भारतीय नागरिकों के लिए – 25 रूपये प्रति व्यक्ति
  2. विदेशी नागरिको के लिए – 300 रूपये प्रति व्यक्ति

झांसी किला कैसे पहुंचे – How to reach Jhansi Fort

Jhansi Fort History in Hindi Uttar Pradesh | झाँसी किला का इतिहास (7)

झाँसी का किला पहुँचने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन, बस और अपने व्यक्तिगत साधन में

से किसी का भी चुनाव अपनी सुविदानुसार कर सकते है।

झाँसी किला फ्लाइट से कैसे पहुँचे – How to reach Jhansi Fort Flight

यदि आप हवाई मार्ग से झांसी पहुंचना चाहते है तो हम आपको बता दे कि ग्वालियर हवाई अड्डे के माध्यम से आप झाँसी पहुँच सकते है। यह हवाई अड्डा मुख्य शहर झाँसी से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।पर्यटक ग्वालियर हवाई अड्डे से झांसी पहुँचने के लिए टैक्सी सेवा का लाभ उठा सकते है। अंतर्राष्ट्रीय यात्री दिल्ली हवाई अड्डे से कनेक्टिंग फ्लाइट की सुविदा ले सकते हैं। ग्वालियर हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों जैसे भोपाल, वाराणसी, आगरा, मुंबई और जयपुर आदि से नियमित उड़ानों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

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झाँसी किला ट्रेन से कैसे पहुँचे – How to reach Jhansi Fort by train

ट्रेन के माध्यम से झाँसी पहुँचना काफी आरामदायक और आसान है।

झांसी जंक्शन रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों के साथ लगातार ट्रेनों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

दिल्ली-मुंबई रेलवे मार्ग पर स्थित है। आप रेलवे स्टेशन से यहाँ चलने वाले

(Video) Jhansi Fort History (in Hindi) | यहां से कुंदी थी रानी अपने पुत्र के साथ #Babarajvlog

स्थानीय साधनों के माध्यम से किला तक पहुँच सकते है।

झांसी किला सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे –

यदि आपने झांसी की यात्रा के लिए सड़क मार्ग को चुना है तो बता दें कि झाँसी शहर सड़क मार्ग के माध्यम से पहुंचना बहुत ही आसान है। झाँसी का सफ़र तय करने और घूमने के लिए आप राज्य परिवहन की बस या टैक्सी की सुविधा ले सकते हैं।झाँसी से ग्वालियर की दूरी लगभग 102 किमी, माधोगढ़ से 139 किमी और आगरा से 233 किमी है। आप झाँसी के इन तमाम बस स्टॉप- झांसी का किला टर्मिनल बस स्टॉप, बड़ा बाजार टर्मिनल बस स्टॉप, गंगा मार्केट मिनर्वा क्रॉसिंग बस स्टॉप और खंडेराव गेट बस स्टॉप पर उतर कर यहा के स्थानीय साधनों की मदद से किला पहुँच जाएंगे।

Jhansi Fort Jhokan Bagh Uttar Pradesh Map –

Jhansi Fort History in Hindi Video –

FAQ –

1 .झांसी कहा है ?

भारत के उत्तर प्रदेश के झाँसी जनपद में झाँसी नगर स्थित है।

यह नगर पुरे विस्व में 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में

झाँसी की रानी की भूमिका के कारण प्रसिद्ध है।

2 .झांसी में कितने गेट हैं ?

झांसी के किले का इतिहास देखे तो चाँद गेट, उन्नाव गेट, झरना गेट, खंडेराव गेट,

दतिया दरवाजा, सैंयर गेट, ओरछा गेट, सागर गेट और लक्ष्मी गेट नाम के दस दरवाजा (गेट) हैं।

3 .झांसी किस राज्य में है ?

भारत के उत्तर प्रदेश के झाँसी जनपद में झाँसी नगर स्थित है।

4 .झांसी के राजा के कितने पुत्र थे ?

झांसी के राजामहाराजा गंगाधर रावको एक बेटा था।

5 .झांसी का पुराना नाम क्या था ?

(Video) Jhansi Fort झांसी का किला (आज़ादी की लड़ाई 1857 की कहानी )

झांसी का पुराना बलवंत नगर था।

6 .झांसी में क्या मशहूर है ?

झांसी के किले में सोने, चांदी, कॉपर के सिक्के, बहु ​​रंगीन कला,

चित्रकला, कांस्य, हथियार, मूर्तियां और पांडुलिपियों मशहूर है।

7 .झांसी का किला कितने एकड़ में बना है ?

15 एकड़ में बना झांसी का किला दोनों तरफ रक्षा खाई और 22 दुर्गः में विभाजित है।

Conclusion –

आपको मेरा Jhansi Fort History in Hindiबहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।

लेख के जरिये झांसी का इतिहासऔर Orchha ka itihasसे सबंधीत सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको किसी जगह के बारे में जानना है। तो कहै मेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note –

आपके पास jhansi ka kila rani laxmi bai, राजा गंगाधर राव नेवलकर और

jhansi ka lal kilaकी कोई जानकारी हैं।

या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है।

तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद

(Video) Jhansi Fort History ( in Hindi ) | झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के किले का सम्पूर्ण इतिहास | Jhansi

1 .झांसी का किला कहां है ?

2 .झांसी कितने किलोमीटर है ?

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Author: Ouida Strosin DO

Last Updated: 03/01/2023

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